आज सुनंदा के मन के मोती फिर से एक माला का रूप ले रही थी आज सुनंदा के मन के मोती फिर से एक माला का रूप ले रही थी
अन्यथा माँ के जाने के बाद केवल एक परिवार सूना होता है मेरे जाने से पीढ़ियां सूनी हो जाए अन्यथा माँ के जाने के बाद केवल एक परिवार सूना होता है मेरे जाने से पीढ़ियां सूनी...
ये सुनकर सहस्त्रबाहु की आँखों से अश्रुओं की धारा बह चली। ये सुनकर सहस्त्रबाहु की आँखों से अश्रुओं की धारा बह चली।
शारीरिक शोषण और दहेज अब केवल पुरातनपंथियों के हथियार नही रह गये हैं! शारीरिक शोषण और दहेज अब केवल पुरातनपंथियों के हथियार नही रह गये हैं!
माँ, मुझे पहले कुछ समझ नहीं आता था, अब मैं समझती हूँ धीरे धीरे सारी बातें माँ, मुझे पहले कुछ समझ नहीं आता था, अब मैं समझती हूँ धीरे धीरे सारी बातें
अरुण और नीतू एक ही कॉलेज में पढ़ते थे और एक ही बस स्टॉप पर उतरते थे अरुण और नीतू एक ही कॉलेज में पढ़ते थे और एक ही बस स्टॉप पर उतरते थे